त्वरित विद्युत विकास और कार्यक्रम ( Instant Power Development And Program Hindi Me )

वितरण  सुधार ( Distribution improvement )

वितरण सुधार को विधुत क्षेत्र की दक्षता और वितीय स्थिती में सुधार लाने के लिए कुंजी क्षेत्र माना गया था। विधुत मंत्रालय  ने हाल ही में वितरण क्षेत्र में सुधार लेन के लिए कई पहल किए है। 29 राज्यों ने समयबद्ध जतरीके से वितरण सुधार करने के संबध में मंत्रालय के साथ समझोता सापन पर हस्ताक्षर  किए है। इसके परिणामतः 21 राज्यों ने राज्य विधुत विनियामक आयोगों का गठन कर दिया है और 18 ने टैरिफ को युक्तियुक्त बनाने के संबध में टैरिफ जारी कर दिए है। अजय अब युटीलीटियो को आर्थिक सहायता की अदायगी करनेके प्रति बेहतर ढंग से वचनबद्ध है।


त्वरित विधुत विकास और सुधार कार्यकम Instant power Development and program की पूरी जानकारी  


Instant Power Development And Program
Instant Power Development And Program


भारत ने मार्च 2003 में त्वरित विधुत विकास और सुधर कार्यकम नामक योजना को अनुमोदित कर दिया है ताकि वितरण क्षेत्र का सुधार त्वरित किया जा सके। इस कार्यकम के मुख्य उदेश्य है ;

  • सकल तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों को कम करना। 
  • विधुत क्षेत्र में वाणिज्यिक व्यवहार्यता लाना। 
  • रुकावट  और व्यावधानो को दूर करना। 
  • उपभोक्ता ओ  की संतुष्टि को बढ़ान

पुर्नगठन त्वरित विधुतविकास  और सुधार कार्यकम (( Instant power Development and program R -A P D R P) 

भारत सरकार का केंद्रीय क्षेत्रक योजना के रूप में संशोधित शर्तो के साथ 11 वी पंचवर्षीय योजना के दौरान R - A P D R P को  जारी रखने का प्रस्ताव है। इस कार्यकम में मुख्य रूप से स्थायी हानि को कम करने के रूप में कार्य निष्पादन की वास्तविकता और प्रदर्शनीयता पर ध्यान केंद्रीय करना है। यर्थात बेस लाइन डाटा के स्थायी संग्रहण के लिए विश्वसनीय और स्वचालित प्रणाली साबित करना और ऊर्जा लेखाकरण के क्षेत्र सुचना प्रोधोगिकी को अपनाना आवश्यक होगा। यह कार्य नियमित वितरण सुदृढ़ीकरण परियोजनाओं से पहले  करना होगा।   

कार्यकम  का क्षेत्र 

प्रस्तावित  है की इस कार्यकम के अधीन शहरी क्षेत्रों - ऐसे नगरों और क्षेत्रों में कार्यक्रम चलाना है जिनकी आबादी 30;000 (विशेष श्रेणी के राज्यों के मामले में 10,000) से अधिक हो। इसके अतिरिक्त महत्वपूर्ण लोड वाले सधन ग्रामीण क्षेत्रों जिन में धरेलू और औधोगिक क्षेत्रों से भिन्न कृषि फीडर कार्य करते है और जहां उच्च वोलटता वितरण प्रणाली (11 k v) को भी शरू किया जाएगा।

इसके अलावा ऐसे शहर / क्षेत्र जिन के लिए  10 वी योजना में R-A P D R P मंजूर की गई है उन पर पहले स्वीकृत परियोजनाओं के पूरा होने के बाद ही 11 वी योजना में विचार किया जाएगा।

योजना 
इस योजना के अधीन परियोजनाओं को दो भागो में लिया जाएगा। भाग -क में ऊर्जा लेखाकरण /लेखा परीक्षा के लिए बेस लाइन डाटा और सुचना प्रौधोगिकी की स्थापना के लिए और सुचना प्रोधोगिकी आधारित उपभोक्ता सेवा केंद्रों  के लिए परियोजनाएं शामिल है। भाग - ख में नियमित वितरण सुद्ढ़ीकरण परियोजनाए शामिल की जाएगी। प्रत्येक भारक के अधीन किए जाने वाले क्रियाकलाप इस प्रकार है ;

भाग - क ;  उपभोगता सूचकांक G I S  मैपिंग वितरण ट्रांसफार्मरों का मीटरिंग और फीडर्स और सभी वितरण ट्रांसफार्मरो तथा फीडरों और S C A D A / D M S प्रणाली (केवल ऐसे परियोजना क्षेत्रों में जहां की आबादी चार लाख से अधिक हो और वार्षिक ऊर्जा प्राप्ती 350 M U हो) के लिए ऑटोमेटिक डाटा लॉजिंग वाले परियोजना क्षेत्र के लिए बेस लाइन डाटा तैयार करना। इसमें समस्त वितरण तंत्र पर और 11 k v ट्रांसफार्मर से कम की परिसंपति मैपिंग शामिल होंगी और इसमें वितरण ट्रांसफार्मर तथा फीडर रोटेंशन लाइने खंभे और अन्य वितरण तंत्र उपस्कर भी शामिल होंगे। इसमें मीटर रीडिंग बिलिग और वसूली ऊर्जा लेखाकरण और लेखापरीक्षा M I S उपभोक्ताओं की शिकायतों का अनिवार्य सुचना प्रौधोगिकी संपूर्ण उपभोक्ता सेवा केंद्रों आदि की स्थापना भी शामिल है। बेस लाइन डाटा और अपेक्षित प्रणाली का विधुत मंत्रालय द्वारा नियुक्त सहायता एजेंसी द्वारा सत्यापन किया जाएगा। कार्यो की सूचि केवल संकेतात्मक है।

भाग - ख ;   11 k v स्तरीय सब - स्टेशनों ट्रांसफार्मरो ट्रांसफार्मर केंद्रों 11 k v स्तर पर या उससे नीचे की रीकंडटरिग लाइनों लोड विवरण फीडर पृथककरण लोड संतुलन H V D S (11 k v) संधनन क्षैत्रो में हवाई बंचड कंडकटरिग इलेक्ट्रोजेनेटिक एनर्जी मीटरों को लगाने कैपेसिटर बैंक स्थापित करने और संचलन सेवा केन्द्रो आदि का नवीकरण आधुनीकिकरण  और सुद्रढीकरण विशेष मामलो में जहां सब ट्रांसमिशन प्रणाली कंमजोर है वहां 33 k v या 66 k v स्तर पर सुदृढ़ीकरण करने पर भी विचार किया जा सकता है।

  R - A P D R P  सहायता के लिए पात्रता का मापदंड     

      राज्य /यूटिलिटी से अपेक्षा की जाएगी की वह -

  1. राज्य विधुत विनियामक आयोगों का गठन करें। 
  2. यूटिलिटी के स्तर पर सफल तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों  को कम करने के संबध में निम्नलिखित लक्षय प्राप्त करे  
      (क)   30 प्रतिशत से अधिक सफल तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों वाली यूटिलिटी में प्रत्येक वर्ष 3 प्रतिशत की कभी हो। 


        (ख) 30 प्रतिशत से कम सफल तकनीकी और वाणिज्यिक हानि वाली यूटिलिटी प्रति वर्ष 1; 5 प्रतिशत की कभी हो।

         3   परियोजना क्षेत्र में सभी स्तरों पर बेहतर जिम्मेदारी के लिए एक समयबद्ध  प्रतिबद्धता का उपाय लागु किया जाए।

          4    विधुत मंत्रालय द्वारा नियुक्त सहायता एजेंसी द्वारा सत्यापित अभिनिर्धारित परियोजना क्षेत्र के पिछले वर्ष के सफल तकनीकी और वाणिज्यीक हानि के आंकड़े 30 दिन तक प्रस्तुत किए जाए यह सहायता एजेंसी तह सत्यापित करेगी कि -

         (क)     सभी शामिल बिंदुओं का पता लगाया गया है। और योजना क्षेत्र में ऊर्जा की आपूर्ति के लेखाकरण के लिए डाऊनलोड किए जाने योग्य मीटर लगाए गए है।
     
          (ख)    सभी निकासी फ़ीडरों में सब - स्टेशनों पर डाऊनलोड किए जा सकने योग्य मीटर लगाए गए है।

           (ग)    योजना क्षेत्र में चारों तरफ बार लगाई गई  है अर्थात ऊर्जा की गणना के लिए निकासी और प्राप्ती मीटर सुनिश्चित किए जाएगे जिसमे रिंग फेंसिग द्वारा योजना क्षेत्र के रुरल रोड को उस स्थिति में पृथक किया जाएगा यदि वे अलग फीडर पर नहीं है।

            (घ)     उपर्युक्त व्यवस्था आपूर्ति ऊर्जा और सफल तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों का हिसाब लगाने के लिए एकत्र तदनरूपी रोकड़ केलिए की जाएगी। यह कार्य कम से कम तीन बिलिंग चक्र के लिए किया जाएगा और सहायता एजेंसी द्वारा इस का सत्यापन किया जाएगा। हानि का यह स्तर बेस लाइन होगा ताकि भाग -ख परियोजनाओं के लिए अनुदान को ऋण में परिवर्तित करने पर विचार किया जा सके।

            (5)      परियोजना क्षेत्र में 15 टका सकल तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों को कम करने का लक्षय प्राप्त करने के लिए संबधित स्टाफ हेतु उचित प्रोत्साहन योजना तैयार की जाएगी।

      वित  पोषण तंत्र 
 
           (1)    भारत सरकार R-A P D R P योजनाओ के भाग -क के लिए 100 टका ऋण मुहैया कराएगा जिसमे बेस लाइन डाटा और ऊर्जा लेखाकरण /लेखापरीक्षा के लिए सुचना प्रोधोगिकी का प्रयोग और सुचना प्रोधोगिकी आधारित उपभोक्ता सेवा  आदि साबित करने के लिए परियोजनाए भी शामिल है।
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         (2)भारत सरकार ऐसी R- A D P R P योजनाओ के भार -ख केलिए 25 प्रतिशत (विशेष श्रेणी के राज्य के लिए 90 टका) तक ऋण मुहैया कराएगा जिसमे नियमित वितरण सुदृढ़िकरण परियोजनाएं भी शामिल होगी।

          (3)  भारत सरकार का समस्त ऋण पावर फाइनेंस कारपोरेशन / R E C (वितीय संस्थान) के माध्य्म से दिया जाएगा। यह ऋण उनके द्वारा वित पोषित अलग - अलग योजनाओ के लिए दिया जाएगा।

           (4)   सम्मिलित वित पोषण वर्तमान नीति के अनुसार पावर फाइनेंस कारपोरेशन /R E C (वितीय संस्थान) द्वारा किया जाएगा।

            (5)  पावर फाइनेंस कारपोरेशन /R E C इन परियोजनाओं की वित व्यवस्था के लिए प्रमुख उधारदाता होंगे यदि यूटिलिटी पावर फाइनेंस कारपोरेशन - R E C के वाणिज्यिक लोन में चूक करते है तो ऐसी योजनाओ की वित व्यवस्था के लिए  किसी अन्य उधारदाता से पहले इसे वसूल किया जाएगा। (क्योकि यह प्रारंभिक उधारदाता है )
     भारत सरकार के ऋण को अनुदान में बदलना 
 

  1. इस योजना के भाग - क के लिए भारत सरकार के ऋण की समस्त रकम (100 प्रतिशत) निर्धारित समय -सीमा में और T P I E A  द्वारा विधिवत सत्यापित किए जाने के बाद अपेक्षित बेस लाइन डाटा प्रणाली की स्थापना करने के बाद अनुदान में बदल दी जाएगी।
  2. इस परियोजना की भाग -ख के लिए 50 टका (विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 90 टका) तक का ऋण परियोजना क्षेत्र में 15 टका सफल तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों का लक्षय प्राप्त करने और 5 वर्ष की अवधि में स्थायी आधार पर T P I E A द्वारा विधिवत सत्यापित किए जाने पर 5 समान ट्रेंचेज में अनुदान में परिवर्तित किया जाएगा।
  3. यदि यूटिलिटी किसी वर्ष विशेष में 15 टका सफल तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों को कम करने के लक्षय को प्राप्त नहीं कर पाता है या वहीं पर टिका रहता है तो उस वर्ष ऋण को अनुदान में बदलने के ट्रेंच उसी अनुपात में किया जाएगा जिस अनुपात में शरू के सफल तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों के आंकड़ों से 15 टका सफल तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों के लक्षय में कभी रहती है।

  

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